अवैध कब्जाधारियों को तहसीलदार का संरक्षण, पंचायत वोट बैंक की राजनीति में मशगुल
बरपाली(आधार स्तंभ) : बरपाली पंचायत में अवैध कब्जों की बाढ़ सी आ गई है। जिस पर न तो पंचायत का कोई जोर चल रहा और न ही तहसीलदार कोई कार्यवाही कर रहे। जिसकी वजह से अवैध कब्जाधारी बेखौफ जहाँ चाह रहे वहाँ निर्माण कार्य कर रहे हैं। इससे बरपाली पंचायत के साथ साथ तहसीलदार की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ रही है।
मामला बरपाली पंचायत का है जहाँ पर शासकीय ज़मीनों पर अवैध कब्जों का सिलसिला लगातार जारी है। जिस पर न तो पंचायत कोई अंकुश लगा पा रही है और न ही तहसीलदार। बरपाली के सिंचाई कॉलोनी में सिंचाई विभाग के क़वार्टर को तोड़कर किसी व्यक्ति द्वारा अवैध तरीके से पक्का का मकान निर्माण किया जा रहा है जिसकी शिकायत ब्लॉक कांग्रेस कमेटी (आर टी आई विभाग) के अध्यक्ष बबलू मारवा द्वारा कलेक्ट्रेट में की गई है। उक्त व्यक्ति द्वारा इस निर्माण कार्य के लिए न तो पंचायत और न ही सिंचाई विभाग से किसी प्रकार की कोई अनुमति ली गई है। उक्त अवैध निर्माण का संज्ञान बरपाली पंचायत और तहसीलदार दोनों को है किन्तु किसी के भी द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि या तो निर्माण कार्य करने वाला ऊंची पहुंच रखता है या फिर लेन देन का मामला है।
आपको बता दें कि बरपाली पंचायत में अवैध निर्माण का यह पहला मामला नहीं है इसके पूर्व भी बहुत सारे अवैध निर्माण हुए हैं। कुछ मामलों में शिकायत भी हुई है और उनका मामला बरपाली तहसील में चल भी रहा है। जिस पर तत्कालीन तहसीलदार द्वारा रोक भी लगा दिया गया था किंतु वर्तमान तहसीलदार के बरपाली तहसील में आते ही रोक लगाए गए अवैध निर्माण पुनः प्रारम्भ कर निर्माण कार्य पूर्ण भी कर लिया गया। किन्तु वर्तमान तहसीलदार द्वारा सब कुछ जानते हुए भी कोई कार्यवाही नहीं की गई।
इससे यह प्रतीत होता है कि कहीं तहसील में अवैध निर्माण के लिए लेन देन तो नहीं चल रहा? आखिर क्यों इन अवैध कब्जाधारियों को तहसीलदार का संरक्षण प्राप्त है? क्योंकि जिस तरह बेखौफ होकर अवैध कब्जाधारी अपना निर्माण कर रहे हैं कहीं न कहीं तहसीलदार की भूमिका संदेहास्पद लग रही है। और बरपाली पंचायत अपने वोट बैंक की राजनीति में लगी हुई है शायद इसीलिए पंचायत द्वारा इन अवैध निर्माणों की अनदेखी की जा रही है। अगर यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब बरपाली में किसी शासकीय योजना के लिए भवन निर्माण की आवश्यकता हो और शासकीय भूमि लालटेन पकड़कर ढूंढना पड़े।