रायपुर(आधार स्तंभ) : छत्तीसगढ़ सरकार की मानें तो राज्य में एचआईवी पीड़ित, दृष्टिहीन, दोनों पैरों से दिव्यांग और 80 वर्ष या उससे अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को यात्री बसों में मुफ़्त यात्रा की सुविधा दी जा रही है, लेकिन इसका पालन कितना हो रहा है यह कोई देखने वाला नहीं। आम लोगों को इस योजना का पता नहीं और परिवहन विभाग भी गंभीर नहीं है। बसों के मालिक, परिवहन संगठन,चालक,परिचालक भी इस बारे में नहीं जानते।
कोरबा जिले के पुराना व नया बस स्टैंड से हर दिन ऐसे कई यात्री गंतव्य के लिए रवाना होते हैं जिनकी उम्र 80 वर्ष से अधिक की होती है। ऐसे यात्रियों को बस में बिठाने के समय पहुंचे परिजनों द्वारा जब चालक- परिचालक से छूट के संबंध में पूछा जाता है तो वह साफ कहते हैं कि ऐसा कोई नियम हमको नहीं पता और कोई छूट नहीं दी जा रही है। अब लोगों को यात्रा करनी होती है तो इनसे बहस कौन करे?
यात्रियों को लाभ नहीं सरकार की इस छूट का,परिवहन विभाग पालन कराने गंभीर नहीं
शासन के द्वारा पिछले दिनों इस तरह की जानकारी सार्वजनिक की गई लेकिन सिर्फ आंकड़ों पर खेलते परिवहन विभाग के द्वारा धरातल पर इसका कोई क्रियान्वयन नहीं कराया जा रहा है। ना तो बस स्टैंड में इस तरह की कोई सूचना प्रसारित की जाती है कि संबंधित श्रेणी के यात्रियों से कोई किराया ना लिया जाए और ना ही परिवहन विभाग के अधिकारी इसके प्रति गंभीर हैं। यहां तक कि यात्री बसों में विभिन्न रूटों के लिए निर्धारित किराए की कोई सूची भी चस्पा नहीं की गई है जबकि इसके संबंध में स्पष्ट निर्देश हैं। परिवहन विभाग के अधिकारी और मैदानी अमला को शासन के निर्देशों की शायद कोई परवाह नहीं है अन्यथा इसका पालन धरातल पर होता नजर आता।
ऐसे में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सुशासन में ऐसे सभी यात्रियों को बस में सफ़र करने पर निर्धारित किराया में सौ प्रतिशत की छूट के लाभ पर संशय बना हुआ है,खासकर गरीब और मध्यम वर्ग के यात्रियों को लेकर।