केन्द्रीय वित्त मंत्री के साथ बैठक में मजदूर संगठनों ने रखी मांग

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कोरबा(आधार स्तंभ) : देश में अरसे से चले आ रहे पंरपराओं के अनुसार बजट पूर्व केंद्र सरकार की वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने देश के केंद्रीय मजदूर संगठनों के नुमाइंदों के साथ आने वाले बजट को लेकर बीते सोमवार को राय मशविरा किया है।

इस संबंध में प्रदेश एटक के कार्यवाहक अध्यक्ष दीपेश मिश्रा ने बताया कि वित्त मंत्री के साथ परामर्श वार्ता के दौरान कुछ ज्वलंत मसलों पर केन्द्रीय मजदूर सगंठनों ने आने वाले बजट में असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए सामाजिक सुरक्षा कोष के साथ दीगर मुद्दों को उठाया है। बैठक के उपरांत सेंट्रल ट्रेड यूनियनों की ओर से साझा बयान जारी कर कहा गया कि केंद्र सरकार सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को रोके और नई पेंशन योजना को खत्म कर पुरानी पेंशन योजना को फिर से बहाल करे। वेतनभोगी वर्ग के लिए उनके वेतन और ग्रेच्युटी पर आयकर छूट की अधिकतम सीमा को प्रयाप्त रूप से बढ़ाएं तथा असंगठित श्रमिकों और कृषि श्रमिकों के लिए सरकार सामाजिक सुरक्षा कोष की स्थापना करें ताकि उन्हें न्यूनतम 9000 रुपये प्रतिमाह पेंशन और अन्य चिकित्सा व शैक्षणिक लाभ आदि मिल सके ।

 आवश्यक खाद्य वस्तुओं और दवाईयों पर जीएसटी न लगाएं

श्रम संगठनों ने यह भी मांग की है कि केंद्र सरकार के सभी विभागों तथा सार्वजनिक उपक्रमों के सभी विभागों में मौजूदा रिक्तियों को तुरंत भरें। अनुबंध व आउटसोर्सिंग प्रथा को बंद करें और आवश्यक खाद्य वस्तुओं एवं दवाओं पर जीएसटी नहीं लगाएं। ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस के महासचिव अमरजीत कौर ने कहा कि असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित सामाजिक सुरक्षा कोष से उन्हें न्यूनतम पेंशन, चिकित्सा सुविधा एवं शैक्षिक लाभ सहित सार्वभौमिक सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत परिभाषित लाभ मिल सके, ऐसी व्यवस्था बजट में प्रावधान किया जाए। इस समय भविष्य निधि या ईएसआईसी के तहत नहीं आने वाले बड़ी संख्या में लोग सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ नहीं ले पाते, उन्हें भी इस दायरे में लाया जाना चाहिए।

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