कोरबा(आधार स्तंभ) : कोरबा नगर पालिक निगम क्षेत्र अंतर्गत इन दिनों सरकारी जमीनों में बेजा कब्जा करने की बाढ़ सी आ गई है। निगम क्षेत्र अंतर्गत कोई भी रातों-रात सरकारी जमीन पर घर बनवा ले रहा है तो कोई शहर की बेश कीमती जमीनों पर रात में ठेला गुमटी रखकर कब्जा कर रहा है और निगम का जिम्मेदार अमला कार्यवाही करने के बजाय हाथों में हाथ रखकर देख रहा है।
बुधवारी बाईपास मार्ग में ठेला गुमटियों की बाढ़ सी आ गई है। महाराणा प्रताप चौक से लेकर कोरबा प्रेस क्लब तक लगातार रात में लोग ठेला गुमटी रखकर बेजा कब्जा कर रहे हैं।
बुधवारी चौक के पास संरक्षित ग्राउंड के सामने ठेला गुमटी की बाढ़
बुधवारी चौक में निगम द्वारा संरक्षित सार्वजनिक ग्राउंड है जहां कई कार्यक्रम होते रहते हैं, और कार्यक्रम के दौरान लोग उस ग्राउंड के बाहर कार पार्किंग करते हैं उन जमीनों पर भारी मात्रा में ठेला गुमटी लगाकर लोगों ने कब्जा जमा लिया है।
सागौन के पेड़ काटकर और लगाई गई कटीली तार को तोड़कर कर रहे बेजा कब्जा
मजे की बात तो यह है कि बुधवारी बाईपास में विद्युत ऑफिस से लेकर कोरबा प्रेस क्लब तक जिस जमीन पर वन विभाग और निगम ने कब्जा धारियों से बचाने और शहर के पर्यावरण के संतुलन के दृष्टिकोण से सागौन के पेड़ लगवाए थे और विद्युत ऑफिस से लेकर प्रेस क्लब तक कटीली तार से शहर की इस बेशकीमती जमीन को संरक्षित किया था लेकिन बेजा कब्जा धारियों द्वारा कोरबा नगर पालिक निगम द्वारा लगाई गई कटीली तार को तोड़ते हुए इस पूरे जमीन पर जगह-जगह ठेला गुमटी लगाकर बेजा कब्जा कर लिया गया है और लगाए गए सागौन के पेड़ों को क्षति पहुंचाते हुए नष्ट किया जा रहा है। साथ ही जमीन पर मालिकाना हक जताने की कोशिश की जा रही है,
सफेदपोशों और भूमाफियायों का संरक्षण, निगम अमला भी अवैध वसूली में मस्त
सूत्रों के मुताबिक इस अवैध कब्जे में कई सफेदपोशों का संरक्षण मिला हुआ है और भूमाफिया भी सक्रिय है, इसके साथ-साथ जिस निगम अमले को कार्यवाही करने की जिम्मेदारी दी गई है वह भी इन ठेला गुमटियों से अवैध वसूली कर अपनी जेबे गर्म कर रहे हैं।
बेजा कब्जा से यातायात व्यवस्था बिगड़ सकती है
अगर जल्दी इन बेजाकब्जाधारियों को रोका नहीं गया तो आने वाले समय में हरे भरे सागौन के पेड़ नष्ट हो जाएंगे जिससे पर्यावरण को तो नुकसान होगा ही वही गाड़ियों के पार्किंग के लिए जगह नहीं बचने के कारण शहर की यातायात व्यवस्था बिगड़ेगी, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी निगम के जिम्मेदार अधिकारियों और निगम प्रशासन की होगी ।
पहले भी इसी तरह ठेला गुमटी लगाकर हुआ था बेजा कब्जा अब बनी है बिल्डिंगें
सूत्रों के मुताबिक पहले भी बुधवारी बाईपास सड़क के दूसरी ओर इसी प्रकार ठेला गुमटी लगाकर लोगों द्वारा बेजा कब्जा किया गया था लेकिन समय बदलने के साथ-साथ आज वहां बड़ी-बड़ी बिल्डिंगें खड़ी हो गई है। कई लोग नामी जमीन बताते हुए भ्रमित करते हैं तो कई लोग पुराने बसिदें बताते हैं कि यह जमीन कभी रेलवे प्रशासन की हुआ करती थी, और कभी इस मार्ग से रेल परिवहन होता था आज भी रेलवे की पटरी सड़क पर दिखती है, जो साक्षात प्रमाण है अब इस सरकारी जमीन को संरक्षित करने के लिए निगम की जिम्मेदारी है, लेकिन लगभग एक दशक पहले से अब तक इस जमीन को संरक्षित करने में निगम अमला नाकाम रहा है। इस प्रकार बेजा कब्जा सफेद पोशो के संरक्षण में इन बेशकीमती जमीनों पर लोगों द्वारा किया जा रहा है,
चुनाव के समय होते हैं ज्यादातर सरकारी बेशकीमती जमीनों पर कब्जा
शहर की इन बेशकीमती जमीनों पर ज्यादातर बेजा कब्जा चुनाव के समय में होता है जब अधिकारी चुनाव में व्यस्त रहते हैं और सफेदपोश वोटो के लालच में संरक्षण देते है। भूमाफिया वोटों का टेंडर लेकर सरकारी जमीनों पर कब्जा करते हैं और आने- पौने दामों में बेचकर अवैध कमाई करते हैं ।
राजस्व अधिकारियों की सरकारी जमीनों में बेजा कब्जा कराने की बड़ी भूमिका
इस प्रकार सरकारी जमीनों पर बेजा कब्जा कराने में राजस्व विभाग के पटवारी से लेकर अधिकारियों की बड़ी भूमिका रहती है जो सरकारी जमीनों के नक्शे खसरे में उलट फेर कर बेजा कब्जा धारी की निजी भूमि बताकर कब्जा करवाते हैं फिर चाहे वह वन विभाग की ही जमीन क्यों ना हो। वही राजस्व की जमीन राजस्व के रिकॉर्ड में उलट फेर कर हो जाती है ऐसे एक नहीं हजारों उदाहरण कोरबा जिले में मिल जाएंगे।
बीते कुछ वर्षों में सैकड़ो सरकारी जमीनों पर राखड पाटकर हुए बेजा कब्जा
छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार में पिछले कुछ वर्षों में सरकारी जमीनों पर बेजा कब्जा करने की बाढ़ सी आ गई थी जहां कोरबा शहर और शहर से लगी सैकड़ो एकड़ सरकारी जमीनों पर रातों-रात पावर प्लांट की राख फेंक कर भूमाफियाओं द्वारा राजस्व रिकॉर्ड में उलट फेर करते हुए सरकारी जमीनों पर बेजा कब्जा कर लिया गया है जहां सबसे ज्यादा बरबसपुर क्षेत्र सहित आसपास के क्षेत्र में बेजा कब्जा किया गया है।
दर्री डेम के पास हसदेव नदी के किनारे की जमीनों पर बेजा कब्जा
जल संसाधन की जमीन जहां हसदेव नदी के किनारे दर्री डेम के पास से लगाकर भवानी मंदिर के आसपास सहित रोड के किनारे कई एकड़ सरकारी बेशकीमती भूमि पर अवैध कब्जा राखड़ पाट कर किया गया है जबकि जल संसाधन का पाइप लाइन यह बताता है कि यह जल संसाधन की जमीन है लेकिन भूमाफियाओं द्वारा उसके ऊपर भी राखड़ पाट कर कब्जा कर लिया गया है ।
आदिवासियों की जमीन बताकर भूमाफिया सरकारी जमीन पर कर रहे कब्जा
दर्री डेम से लेकर कोहड़िया तक कुछ आदिवासियों की जमीन रोड से कुछ दूरी पर थी जिसे भू माफिया आने-पौने दामों पर किसी के नाम पर चढ़वा कर रोड के किनारे सरकारी जमीनों में पावर प्लांट की राख पाट कर निजी जमीन बता कर कब्जा कर रहे हैं पूछने पर आदिवासियों को सामने रखकर उनकी पुरखों की जमीन भू माफियाओं द्वारा बताई जा रही है, जो जांच का विषय है।
भविष्य में सरकारी योजनाओं के लिए जमीन नहीं मिलेगी
अगर आज बेजा कब्जा धारियों पर लगाम नहीं लगाई गई तो आने वाले कुछ वर्षों में अगर शासन को सरकारी योजनाओं के संचालन के लिए सरकारी जमीनों की आवश्यकता पड़ी तो ढूंढने से भी नहीं मिलेगी इसलिए इन बेजा कब्जा धारियों पर अंकुश लगाना अति आवश्यक है और उनसे जमीन मुक्त करना बेहद जरूरी है।
सरकारी जमीनों पर पर्यावरण दृष्टि से प्रशासन को हरे भरे पेड़ लगाने की जरूरत
जिला प्रशासन को चाहिए कि भू माफियाओं पर कठोर कार्रवाही करते हुए सरकारी जमीनों पर हुए बेजा कब्जा को हटाते हुए सरकारी जमीनों का सीमांकन कर संरक्षित करते हुए हरे-भरे पेड़ लगाने की जरूरत है जो पर्यावरण को शुद्ध करने में कोरबा शहर की जनता के लिए लाभकारी हो, लोगों को शुद्ध हवा मिल सके और भविष्य में शासकीय योजनाओं के लिए सरकारी जमीनें शासन को उपलब्ध हो सके ।