कोरबा शहर के खुले नाले: गंदगी और हादसों का पर्याय

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कोरबा (आधार स्तंभ) :  कोरबा शहर के खुले नाले गंदगी के स्टोर के साथ ही हादसों का पर्याय बने हुए हैं। इन नालों में आए दिन पशुओं के गिरने की घटनाएं हो रही हैं, लेकिन संबंधित विभाग द्वारा नालों पर स्लैब लगाने का कार्य नहीं किया जा रहा।

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शहर की विभिन्न सामाजिक एवं गो संरक्षण संस्थाएं प्रशासन से गुहार लगा चुकी हैं, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। नालों में फंसे गोवंश को निकालने में भी प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं की जा रही।

स्थानीय नगर परिषद किसी कारणवश मरने वाले पशुओं को भी अपने स्तर पर उठाने का प्रयास नहीं करती, शहर की स्वयंसेवी संस्थाएं ही यह कार्य कर रही हैं।

शहर के हृदय स्थल घंटाघर के समीप नाले खुले पड़े हैं। इन नालों पर निर्माण के बाद से ही स्लैब इत्यादि नहीं लगाए गए हैं। ऐसे में यहां आए दिन पशुओं के गिरने की घटनाएं हो रही हैं।

एक ऐसी ही घटना घंटाघर बुधवारी मार्ग पर स्थित स्वर्गीय विशाहू दास दास स्मृति उद्यान के पास में हुई। यहां एक सांड नाले में गिर गया और बीते चार दिनों से नाले में ही विचरण कर रहा था। नाले से बाहर निकलने में असमर्थ सांड को देख किसी राहगीर ने बाल गोपाल गौ सेवा समिति के सदस्यों को सूचित किया।

गो सेवक अक्षत शर्मा और अन्य सदस्य मौके पर पहुंचे और कड़ी मशक्कत से 4 घंटे का रेस्क्यू कर हाइड्रा मशीन की मदद से नाले में गिरे सांड को निकाला।

इस घटना ने फिर से शहर के खुले नालों की समस्या को उजागर किया है और प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की जा रही है।

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