नदी-नालों से अवैध दोहन और परिवहन करने वाले सक्रिय, हर इलाके में सक्रिय हैं तस्कर

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कोरबा (आधार स्तंभ) : औद्योगिक जिले कोरबा में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के चार क्षेत्रों की 15 से ज्यादा कोयला खदानें जिले के खनिज राजस्व का लक्ष्य काफी हद तक पूरा करने में सहायक साबित हो रही है। इससे अलग गौण खनिज रेत से मिलने वाली रायल्टी भी अपना योगदान सुनिश्चित कर रही है। इन सबसे अलग हटकर जिले में अनेक नदी-नालों से रेत की तस्करी लंबे समय से जारी है। हैरानी की बात यह है कि पूरे मामले में रेत तस्कर हावी है और सरकार का सिस्टम पंगु बना हुआ है।

जानकारों का दावा है कि हर महीने इस प्रकार की गतिविधियों से राज्य सरकार को करोड़ों की चपत लग रही है और तस्कर से लेकर उनके संरक्षक मोटी कमाई कर रहे हैं। रेत के अवैध खनन और परिवहन से संबंधित मामलों में भले ही पेनाल्टी की जा रही है लेकिन असली सच यही है कि पेनाल्टी की रकम से बहुत ज्यादा आमदनी तस्करों की गैंग कर रही है। यह नियमित कमाई का हिस्सा बना हुआ है।

हर इलाके में सक्रिय हैं तस्कर

बड़े स्तर पर चोरी-चकारी का काम रेत के मामले में चल रहा है। क्षेत्रवार इसकी गैंग बनी हुई है जो इस काम को बखूबी अंजाम देने में लगी हुई है। इसमें सफेदपोश से लेकर दूसरे टाइप के चेहरे शामिल हैं। वार्ड से लेकर जिला स्तर की राजनीति (चाहे दल कोई भी हो) सक्रिय चेहरों ने रेत को कमाई का सबसे अच्छा जरिया बना लिया है। हसदेव, अहिरन, तान, सोन और लीलागर नदी के अलावा कई नाले उनके लिए सबसे अच्छा माध्यम बने हैं। हर रोज हजारों घनमीटर रेत की निकासी करने के साथ इसे खुलेआम बेचा जा रहा है। सर्वमंगला नगर, कुदुरमाल, चुईया, सोनपुरी, करतला, कुदमुरा, भैंसामुड़ा, धंवईपुर और बांगो इलाके में इस प्रकार के मामले काफी समय से जारी है।

सरेआम चल रहा है काम

चौकाने वाली बात यह है कि रेत चोरी का काम कोई रात में नहीं बल्कि दिनदहाड़े चल रहा है। चोरी-चकारी में जुड़ा वर्ग ट्रैक्टर, हाइवा, पोकलेन का उपयोग भलीभांति कर रहा है। उन्होंने अवैध कमाई के जरिए बड़ा साम्राज्य खड़ा कर लिया है। नेताओं का वरदहस्त पाने से इन पर ठोस कार्रवाई नहीं हो पा रही है।

जब्त हो चुके हैं वाहन

इससे पहले कई मौकों पर खनिज विभाग ऐसे मामलों की रोकथाम को लेकर कार्रवाई कर चुका है। काफी ट्रैक्टर, हाइवा, पोकलेन जैसे वाहनों को मौके से पकड़ा गया है। कई बार संसाधन जरूर पकड़ में आते हैं लेकिन लोग भाग जाते हैं ऐसे में कहा जाता है कि मामला किस पर दर्ज करें। जरूरत जताई जा रही है कि ऐसे वाहनों की जानकारी लेने के साथ उन्हें राजसात करने की कार्रवाई की जानी चाहिए तभी तस्करों का मनोबल टूट सकता है।

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