कोरबा (आधार स्तंभ) : एसईसीएल कुसमुंडा क्षेत्र के द्वारा ओवर बर्डन का कार्य नीलकंठ सरकार ठेका कंपनी को दिया गया है जिसके द्वारा मिट्टी एवं कोयला का उत्खनन किया जा रहा है। उत्पादन बढ़ाने की होड़ में कंपनी के द्वारा नियम कानून को ताक में रखकर उत्खनन किया जा रहा है । इसकी शिकायत माटी अधिकार मंच ने जिला प्रशासन, पर्यावरण वन मंत्रालय, जलवायु परिवर्तन, भारत सरकार , पीसीसीएफ रायपुर एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से की है ।
एसईसीएल कुसमुंडा क्षेत्र के द्वारा ग्राम जटराज के अर्जित भूमि से कोयला उत्खनन कर उस स्थान पर डंप किया गया है । इस पहाड़ नुमा डंप में वन विकास निगम के द्वारा वर्ष 2003-04 लाखों पेड़ों को लगाया गया है , जो वर्तमान में जंगल का स्वरूप ले चुका है । वर्तमान में यह जंगल जंगली सूअर , सियार , लकड़बग्घा , मोर , बंदर , अजगर एवं अनेक प्रकार के जीव जंतु का आवास बन गया है जिसमें जंगली सूअर एवं सियार की संख्या हजारों में है। इस डंप में लगे हजारों पेड़ों को मशीनों से उखाड़कर मिट्टी में दबाकर समतल कर धीरे-धीरे उत्खनन कर मिट्टी को अन्यत्र डंप किया जा रहा है । यह कार्य जुन – जुलाई 2024 से लगातार जारी है । पेड़ों को उखाड़ने का कार्य ज्यादातर रात के अंधेरे में किया जा रहा है । कुसमुंडा क्षेत्र के द्वारा इन ओवर बर्डन डंपो में किए गए प्लांटेशन को पर्यावरण संतुलन के नाम पर दिखाकर उत्पादन क्षमता विस्तार के लिए पर्यावरण मंत्रालय परिवर्तन से अनुमति प्राप्त की जाती है , परंतु जिस तरीके से पेड़ों को उखाड़ कर उत्खनन किया जा रहा है । इससे स्पष्ट प्रतीत होता है कि प्रबंधन की मंशा पर्यावरण को संतुलित कर उत्खनन करने की नहीं है । उत्खनन करने की होड़ में पर्यावरण मंत्रालय के नियमों को दरकिनार किया जा रहा है । खदान से लगे ग्रामों में व्यापक पैमाने पर वायु प्रदूषण व्याप्त है । एयर क्वालिटी , पीएम 2.5 एवं पीएम 10 मानक स्टार से बहुत ज्यादा है । नीलकंठ – साकार कंपनी के द्वारा ग्राम बरकुटा , तहसील दीपका की वन भूमि खसरा नंबर 192 /1 , 192 /2 रकबा 50 एकड़ में लगे पेड़ों को भी अगस्त – सितंबर 2023 में इसी तरह पोकलेन मशीन से उखाड़ कर भूमि को समतल कर उत्खनन किया गया है ।