महिला एवं बाल विकास विभाग में मनमानी : रनिंग वाटर कनेक्शन के आबंटन का बंदरबाट ,मुख्यमंत्री कन्या विवाह में अपात्र जोड़े ,विवादित कर्मचारियों से कार्य कराने ,तबादले के बाद भी कर्मचारियों को भारमुक्त नहीं करने से लेकर डीएमएफ के कार्य चर्चा में ……

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कोरबा (आधार स्तंभ) :  कोरबा जिले का महिला एवं बाल विकास विभाग इन दिनों अपनी मनमाना कार्यशैली को लेकर सुर्खियों में है। गत दिनों संपन्न हुए मुख्यमंत्री कन्या सामूहिक विवाह में ऐन वक्त पर 2 अपात्र (नाबालिग)जोड़ों को हटाने , आंगनबाड़ी केंद्रों के अत्यावश्यक सामाग्री क्रय के लिए प्राप्त 17 हजार रुपए की प्रति केंद्र के आबंटन से सिंटेक्स पानी टँकी रनिंग वाटर कनेक्शन लगाकर करोड़ों रुपए का बंदरबाट करने ,तबादले के बाद भी कर्मचारियों को भारमुक्त नहीं करने से लेकर जिला कार्यालय में भ्रष्टाचार के आरोप लग चुके दूसरी योजना के विवादित संविदा कर्मचारियों से कार्य लिए जाने का मामला प्रकाश में आ रहा है।

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विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आंगनबाड़ी केंद्रों में अत्यावश्यक कार्य के लिए प्राप्त बजट 17 हजार प्रति केंद्र प्राप्त हुआ है। उक्त इस बजट से सभी केंद्रों में रनिंग वाटर कनेक्शन देने का कार्य कराया जा रहा है। जिले में 2574 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। इस लिहाज से देखें तो इस कार्य के लिए 4 करोड़ 37 लाख 58 हजार का आबंटन प्राप्त है। उक्त राशि से बिना कोटेशन मंगाए गए सत्ताधारी दल के कुछ लोगों को कार्य दे दिया गया है। प्रति केंद्र सिंटेक्स पानी टँकी लगाने रनिंग वाटर कनेक्शन का कार्य गुणवत्तापूर्ण करने पर भी 8 से 10 हजार के अंदर हो जाता है।

लेकिन यहाँ प्रति केंद्र 17 हजार की दर से भुगतान किया जा रहा है। इस लिहाज से देखें सम्बंधितों को डेढ़ से 2 करोड़ रुपए का अवैध लाभ पहुंचाया जा रहा है। जिसमें जिला एवं परियोजना अधिकारियों को कमीशन का एक बड़ा हिस्सा मिल रहा है। बात करें मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना की तो 12 दिसंबर को सीएसईबी फुटबॉल ग्राउंड में संपन्न हुए इस कार्यक्रम में 102 जोड़ों को चिन्हांकन किया गया था। लेकिन विवाह 98 जोड़ों का ही हुआ।

इसमें से 2 जोड़े आपात स्थिति की वजह से नहीं आ सके तो 2 जोड़े नाबालिग निकले,जिनका सत्यापन कराए बगैर मिलीभगत से उनको बिठा दिया गया था। भांडा फूटने के बाद 2 जोड़ों को आनन फानन में हटाया गया। पूरी 98 जोड़ों की ,विवाह आयोजन के खर्चों की ,सामग्री प्रदायकर्ता फर्म की जांच में बड़ी गड़बड़ी उजागर हो सकती है। अब बात करें कर्मचारियों की तो यहाँ आईसीपीएस का एक सामाजिक कार्यकर्ता मनोज पटेल डीपीओ का राइट हैंड बनकर जिला कार्यालय में बाबू कम अकाउंटेंट का कार्य कर रहा है। यह वही मनोज पटेल है जिस पर डीपीओ के पूर्व पदस्थापना कार्यकाल में सखी वन स्टॉप सेंटर में केंद्र प्रशासक की नियुक्ति के दौरान रिश्वत लेने का आरोप लगा था, शिकायत मंत्रालय तक पहुंची थी।

जिसकी वजह से डीपीओ का तबादला तक कर दिया गया था।लेकिन इस बार भी कोरबा पदस्थापना में डीपीओ का उसी भ्रष्ट कर्मचारी को जिला कार्यालय में अटैच कर कार्य करवा रही हैं जो अत्यंत हैरानी भरा है। कहीं न कहीं यह डीपीओ के अवैध कमाई का एक बड़ा मोहरा है । जिसको आईसीपीएस के मूल कार्य फील्ड विजिट न कराकर जिला कार्यालय में अटैच किया गया है। जिला कार्यालय में संलग्न पर्यवेक्षक सोनिका तिवारी का 29 दिसंबर को जारी स्थानांतरण आदेश में चोटिया परियोजना में तबादला हो चुका है।

लेकिन उन्हें आज पर्यंत भारमुक्त न कर किस निजी स्वार्थ की पूर्ति के लिए जिला कार्यालय में रखा गया है समझ से परे है। सूत्रों की मानें तो डीएमएफ से आंगनबाड़ी केंद्रों में करीब साढ़े 3 करोड़ के बजट में प्रदाय किए गए एलपीजी गैस कनेक्शन में भी खेला हो रहा। गैस चूल्हा की क्वालिटी अत्यंत निम्न स्तर की बताई जा रही है। जिसकी गुणवत्ता की जांच की नितांत दरकार है। डीएमएफ से मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान में ढाई करोड़ का कलेक्टर की प्रशासकीय स्वीकृति के बिना बिल लगाकर देयक प्रस्तुत करने का मामला तो जगजाहिर है। जिसकी वजह से स्व सहायता समूहों का ढाई करोड़ पात्र (कुल 5 करोड़ )का भुगतान कलेक्टर ने रोक दिया है।

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