कोरबा ( आधार स्तंभ) : गेवरा परियोजना की मनमानी की शिकायत, पेड़ काटने से रोकने पर पहुंचे दीपका के अधिकारी,पुलिस व प्रशासन
कोरबा। केंद्रीय कंपनी होने और देश की कोयला जरूरतों को पूरा करने का हवाला देकर जहां एक ओर SECL प्रबंधन अपने कार्य में आने वाली अड़चनों को दूर करने के लिए कानून और प्रशासन का सहारा लेता है वहीं दूसरी ओर प्रबंधन पर मनमानी करने का आरोप भी लगातार लगता ही जा रहा है। इसमें कलिंगा ठेका कंपनी भी शामिल हुई है।
कलिंगा कंपनी के GM और SECL की गेवरा परियोजना प्रबंधन के अधिकारियों पर बिना मुआवजा दिए घर और जबरन दर्जनों पेड़ काटे जाने की शिकायत कलेक्टर के जन चौपाल और जिला पुलिस अधीक्षक से पीड़ित राजेश जायसवाल ने सोमवार को किया गया। सुबह करीब 11-12 बजे के मध्य शिकायत करने के बाद इन्हें सूचना मिली कि उनके अमगांव हरदीबाजार स्थित जमीन पर मौजूद बड़े-बड़े वृक्षों को काटा जा रहा है।
सूचना मिलते ही राजेश जायसवाल और छोटा भाई दिनेश जायसवाल कोरबा से मौके पर पहुंचे। वहां इन्होंने बिना मुआवजा दिए पेड़ काटे जाने का विरोध किया। SECL के अधिकारियों ने पुलिस व प्रशासन को इसकी जानकारी दी। दीपका से पुलिस अमला और प्रशासन से नायब तहसीलदार, वनकर्मी अमगांव पहुंचे थे।
राजेश जायसवाल ने बताया कि दीपका से अधिकारी मनोज कुमार, सुशील, कलिंगा से विकास दुबे व अन्य लोग भी पहुंचे थे। राजेश जायसवाल ने उनके अधिकार क्षेत्र को लेकर भी सवाल उठाया कि जब कार्य गेवरा परियोजना अंतर्गत हो रहा है तो दीपका परियोजना के अधिकारियों के यहां आने का औचित्य क्या है? हालांकि मामला दोनों परियोजना के बीच का है।
राजेश जायसवाल ने मौके पर पहुंचे पुलिस -प्रशासन व SECL,वन विभाग के अधिकारियों को यह भी बताया कि वह इस संबंध में कलेक्टर जन चौपाल में आवेदन देकर आया है और वहां से जांच पर जो निर्णय होगा व मुआवजा देने के बाद ही पेड़ को काटा जाए व संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया जाए लेकिन उसकी बात नहीं सुनी गई। हालांकि इस दौरान उनसे जमीन पर मौजूद पेड़ों के संबंध में दस्तावेज दिखाने के लिए भी कहा जाता रहा व एक अधिकारी से मोबाइल पर वृद्ध पिता की बात भी कराई गई जिस दोनों पक्ष ने अपनी बात रखी।
राजेश जायसवाल ने बताया कि उसे व उसके भाई दिनेश जायसवाल व 80 वर्षीय पिता को पकड़कर थाना ले जाया गया। शाम करीब 4 बजे इनके विरुद्ध धारा 151 के तहत प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की गई और तहसीलदार के न्यायालय में पेश किया गया। यहां से जनप्रतिनिधि मुकेश जायसवाल के जमानत मुचलका पर इन्हें छोड़ गया साथ ही चेतावनी भी दी। राजेश के मुताबिक यह चेतावनी भी दी गई कि SECL के सरकारी कार्य में अड़ंगा डाला गया तो जेल भेज दिया जाएगा।
इस पूरे घटनाक्रम से आहत राजेश जायसवाल ने कहा है कि SECL, कलिंगा प्रबंधन अपनी मनमानी पर उतारू है और बिना उसके मुआवजा व अधिकार को दिए ही संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जा रहा है जिसके खिलाफ वह हर लड़ाई लड़ने को तैयार है। राजेश जायसवाल, उसके भाई दिनेश जायसवाल और वृद्ध पिता उदय नारायण जायसवाल ने कानून व्यवस्था पर सवाल उठाया है।