अस्पताल प्रवंधन और डॉक्टरों की घोर लापरवाही के कारण गई बेटे की जान , पिता ने लगाई फोरम में गुहार

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फोरम के आदेश की कॉपी स्टेट मेडिकल कॉउंसिल को भेजने के आदेश ताकि आने वलवले समय में न हो इस तरह की लापरवाही

बिलासपुर(आधार स्तंभ) : न्यू बेल्यू हॉस्पिटल इलाज के लापरवाही के चलते सर्वाइकल पेन के माइज की मौत हो गई। युवक को ऑपरेशन के लिए भर्ती किया गया था। इस दौरान ख़राब खून चढाने से तबियत बिगड़ गई। यह घटना सात पहले की है। इस मामले में अब प्रवंधन ने दोषी अस्पताल पर 10 जख का जुर्माना लगाया है।

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दरअसल जांजगीर चांपा जिले के नरियरा निवासी छोटेलाल टंडन (29) पिता बुधराम टंडन सर्वाइकल का मरीज था। साल 2016 में तकलीफ ज़ादा होने पर वह बिलासपुर के मंगला स्थित न्यू बेल्यु हॉस्पिटल में इलाज करने पंहुचा,जहा डॉक्टरों ने उसका MRI सहित अन्य जाँच के बाद ऑपरेशन की ज़रूरत बताई।

ख़राब खून चढ़ाने से बिगड़ी तबियत 

मरीज़ और उसके परिजनिन के सहमति के बाद लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. बृजेश ने युवक को 29 दिसंबर 2016 को ऑपरेशन के लिए भर्ती किया।ऑपरेशन के दौरान अस्पताल प्रबंधन ने ब्लड की आवश्यकता बताई और मरीज़ को दूषित ब्लड चढ़ा दिया गया।

 

 

फट गई थी अतड़ी, दोबारा किया ऑपरेशन 

 

ख़राब खून चढाने की बजह से छोटेलाल टंडन की हालत बिगड़ ने लगी और उसकी पेट फूलने लगा ,जिससे उसकी अतड़ी फट गई। इस दौरान डॉक्टरों ने उसका दोबारा ऑपरेशन किया।फिर भी तबियत में सुधार नई हुआ। तब उनके परेशान परिजनों ने बड़े अस्पताल में रेफर करने की गुहार लगाई। पर अस्पताल प्रबंधन और डॉक्टर उसका तबियत ठीक होने का भरोसा देते रहे। वही उसकी हालत गंभीर होने पर 10 जनवरी 2017 को अपोलो अस्पताल रेफर किया गया,जिसके बाद महज़ 20 मिनट के बाद उनकी मौत हो गई।

गलत इलाज करने पर फोरम में लगाया फ़रियाद 

छोटेलाल टंडन के मौत के बाद उनके पिता बुधराम टंडन ने साल 2018 में जिला उपभोक्ता फोरम में फ़रियाद दायर किया।इस मामले में फोरम ने अस्पताल प्रबंधन और इलाज करने वाले डॉक्टर से जवाब मांगा। साथ ही उन्हें डिस्चार्ज समरि सहित दस्तावेज प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। लेकिन अस्पताल प्रवंधन ने डिस्चार्ज समरी पेश नई किये।

लिहाज़ा ,जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष आनंद कुमार सिंघल ,सदस्य अलोक पांडेय और पूर्णिमा सिंह ने इलाज में लापरवाही और सेवा में कमी के लिए छोटेलाल टंडन के परिजनों को 45 दिनों के अंदर 10 लख रुपए मुवावज़ा दने का आदेश दिया।

तय समय के भीतर राशि न देने पर 9 फीसदी ब्याज के साथ जुर्माना की राशि देनी होगी। साथ ही फोरम के आदेश की कॉपी स्टेट मेडिकल कॉउंसिल को भेजने के लिए कहा गया है ,ताकि आने वले समय में इस तरह की लापरवाही पर लगाम कासी जा सके।

 

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