कोरबा-कटघोरा(आधार स्तंभ) : एक ओर जब कलेक्टर अजीत बसंत सरकारी जमीनों पर हो रहे अतिक्रमण, बेजा निर्माण को रोकने के लिए सख्त कदम उठाते हुए सख्त निर्देश जारी किए हैं तो दूसरी तरफ कटघोरा में राजस्व विभाग की नाक के नीचे और एसडीएम व तहसीलदार की जानकारी में होने के बावजूद सरकारी जमीन पर कब्जा कर निर्माण किया जा रहा है।
यह जमीन शासन की योजना के लिए सुरक्षित है जिस पर शासन की मंशा या समाज/जनता की मांग अनुरूप निर्माण कार्य हो सके लेकिन इस जमीन के पीछे मौजूद अपने निजी जमीन को छोड़कर मुख्य मार्ग की इस सरकारी जमीन पर दृष्टि डाले हुए रसूखदार सेठ जी प्रशांत अग्रवाल अपनी मनमानी चला रहे हैं। वे राइस मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं और कहीं न कहीं इस रसूख के बूते कटघोरा के राजस्व अधिकारियों को प्रभाव में लेकर बेजा निर्माण कर रहे हैं। इसके प्रति स्थानीय लोगों में नाराजगी व्याप्त है। कलेक्टर के निर्देश का पालन राजस्व अधिकारी करते तो इस तरह से आरक्षित छोड़ी गई जमीन पर बेजा कब्जा करने की हिमाकत नहीं होती। उक्त मामले में स्थगन आदेश भी हुआ है लेकिन उसका भी पालन नहीं किया जा रहा है।
स्थगन आदेश की अवहेलना कर निर्माण कार्य करवाने पर कार्यवाही बावत एसडीएम के समक्ष आवेदन भी प्रस्तुत किया गया है। ग्रामीणों ने बताया कि वार्ड क्र. 10 जुराली पुल के समीप विगत 2-3 माह पूर्व शासकीय जमीन पर निर्माण कार्य किया जा रहा था जिसकी शिकायत अनुविभागीय अधिकारी (रा.) से की गई जिस पर त्वरित कार्यवाही करते हुए संबंधित अधिकारी के द्वारा जाँच आदेश दिया गया। जाँच उपरांत प्रशांत अग्रवाल निवासी कारखाना मोहल्ला कटघोरा के द्वारा शासकीय भूमि पर निर्माण कार्य को हल्का पटवारी व आरआई की जाँच में सही पाया गया। तदोपरांत उक्त निर्माण कार्य पर स्थगन आदेश जारी किया गया था। आदेश पर कुछ समय के लिए कार्य बंद कर दिया गया परन्तु वर्तमान में स्थगन आदेश की खुले तौर पर अवहेलना करते हुये निर्माण कार्य कराया जा रहा है। ग्रामीणों ने मांग की है कि जाँच करवाकर शासन के आदेश की अवहेलना करने वाले के विरुद्ध आवश्यक कार्यवाही करें। दूसरी तरफ सेठ जी हैं कि सामने की सरकारी जमीन पर कब्जा की नीयत लगाए बैठे हैं और अपनी पीछे की जमीन अदला-बदली कराने की मंशा रख रहे हैं। अगर ऐसा हुआ तो कटघोरा से एक नया चलन शुरू हो जाएगा कि अपनी पीछे क रही जमीन के बदले सामने की सरकारी जमीन एक्सचेंज करके मालिक बन जाओ। इस मामले में राजस्व विभाग की मजबूरी पर सवाल उठाते हुए ग्रामीणों ने कहा है कि आखिर सरकारी जमीन जानते हुए भी किसके संरक्षण में निर्माण कराया जा रहा है। क्या राजस्व अधिकारियों का जोर सिर्फ गरीबों के अतिक्रमण को हटाने के मामले में ही चलता है…?