प्रथम अपीलीय अधिकारियों के आदेशों को जन सूचना अधिकारियों ने बनाया मजाक, दबाए दस्तावेज…सुकमा, बलरामपुर से लेकर कोरबा तक मनमानी

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बलरामपुर-सुकमा- कोरबा (आधार स्तंभ) : सरकारी योजनाओं ,व्यवस्थाओं एवं फंड में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से लागू की गई केंद्रीय कानून सूचना का अधिकार अधिनियम छत्तीसगढ़ में भष्ट्र जन सूचना अधिकारियों की वजह से मजाक बनकर रह गया है। भ्रष्टाचार छुपाने इस कदर मनमानी चल रही है कि अपीलीय अधिकारी के आदेश के बाद भी आवेदकों को वांक्षित दस्तावेजों की सत्यप्रतिलिपि उपलब्ध न कराकर नियमों का माख़ौल उड़ाया जा रहा है। इसकी बानगी बस्तर ,सरगुजा एवं बिलासपुर संभाग तक देखी जा सकती है। जन सूचना अधिकारियों के इस रवैय्ये ने गम्भीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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बात करें सरगुजा संभाग की तो यहां कृषि मंत्री के जिले में कार्यालय कलेक्टर सह अध्यक्ष WCDC जिला -बलरामपुर -रामानुजगंज (छ.ग.) के द्वारा वित्तीय वर्ष 2022-23 एवं 2023 -24 में कार्यालय उप संचालक कृषि सह परियोजना प्रबंधक ,जिला -बलरामपुर रामानुजगंज के WDC -PMKSY 2.0 के
परियोजना अधिकारी कार्यालय रामचंद्रपुर ,बलरामपुर में 1 करोड़ 21 लाख 61 हजार की लागत से स्वीकृत जल ग्रहण कार्यों अमृत सरोवर तालाब जीर्णोद्धार, अमृत सरोवर तालाब गहरीकरण ,अमृत सरोवर नवीनीकरण कार्य में व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरती गई है।

जिसके अंतर्गत रामचंद्रपुर परियोजना के ग्राम पिपरौल में 15 लाख 84 हजार की लागत से अमृत सरोवर तालाब जीर्णोद्धार कार्य के तहत माई धिया तालाब का जीर्णोद्धार कार्य किया गया है। बलरामपुर परियोजना में 1 करोड़ 5 लाख 77 हजार की लागत से जलग्रहण के 6 कार्य कराए गए हैं। जिनमें विकासखण्ड के ग्राम सागरपुर में अमृत सरोवर तालाब जीर्णोद्धार कार्य के तहत 19.76 लाख की लागत से अमृत सरोवर तालाब जीर्णोद्धार सह निर्मला घाट (पुर्नवास तालाब ),ग्राम महराजगंज में 17.50 लाख की लागत से खारा तालाब में अमृत सरोवर तालाब गहरीकरण कार्य किया गया है। ग्राम रामनगर कलॉ में 19 .57 लाख की लागत से लालमाठी तालाब में , ग्राम अमडण्डा में 14.03 लाख की लागत से मुड़धोवा तालाब में,ग्राम तातापानी में 16 लाख 26 हजार की लागत से चबूतरा के पास एवं ग्राम धनगांव के बादा तालाब में अमृत सरोवर नवीनीकरण का कार्य किया गया है । कांग्रेस शासनकाल में स्वीकृत उपरोक्त सभी शासकीय तालाब निर्माण एवं जीर्णोद्धार के कार्यों में शासन के निर्धारित गाइडलाइंस ,तकनीकी मापदण्डों गुणवत्ता की अनदेखी कर संरचना तैयार कर शासकीय राशि का बंदरबाट की गई है।परियोजना अधिकारी रामचन्द्रपुर एवं बलरामपुर ने प्रथम अपीलीय अधिकारी कार्यालय संयुक्त संचालक कृषि सरगुजा संभाग अम्बिकापुर के आदेश क्रमांक 46 /24/2024/416 , 47 /24/2024 /417 ,48 /24/2024/418, 49 /24/2024/419 ,50 /24/2024/420 एवं 51 /24/2024 /421 दिनांक 18 .06.2024 के तहत वांक्षित जानकारी
प्राक्कलन ,माप पुस्तिका ,देयक व्हाउचर एवं पूर्णता प्रमाण पत्र की सत्यप्रतिलिपि आज पर्यंत प्रदान नहीं की।प्रथम अपीलीय अधिकारी के ध्यानाकर्षण पत्र तक की अवहेलना कर डाली। मामले में सरगुजा कमिश्नर को 25 .07.2024 को शिकायत की गई है। बलरामपुर की तरह कोंडागाँव में भी पीएमकेएससवाय 2 .0 के स्वीकृत संरचनाओं के निर्माण में मजदूरों की जगह मशीन से कार्य कराया गया है।जल ग्रहण क्षेत्र बड़े राजपुर( PIA ) कार्यालय सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी कोंडागाँव ,जिला -कोंडागाँव (छग) द्वारा वाटरशेड विकास कार्यों के लिए मनरेगा एवं जलग्रहण विकास घटक 2.0 के अभिसरण के माध्यम से समुदाय के लिए 2 करोड़ 17 लाख 45 हजार की लागत से कराए गए चेकडेम निर्माण कार्य के देयक व्हाउचर ,उप संचालक कृषि दबाए बैठे हैं। इन्हें भी न नियमों की परवाह है न कार्रवाई का डर।

कोरबा में अधीक्षक भू -अभिलेख ने कैश बुक को बताया व्यक्तिगत निजी/गोपनीय दस्तावेज ,अपीलीय अधिकारी ने तर्क किया खारिज,बावजूद छुपाया दस्तावेज,डायवर्सन के स्थल निरीक्षण प्रतिवेदन भी संदिग्ध 

भ्रष्टाचार की बात हो और कोरबा का नाम न हो भला कैसे हो सकता है ,यहाँ अधीक्षक भू अभिलेख के यहाँ वित्तीय वर्ष 2023 -24 में संधारित कैश बुक की जानकारी मांगी गई थी। जिसे जनसूचना अधिकारी ने व्यक्तिगत निजी/गोपनीय बताकर जानकारी प्रदाय करने में असहमति जता दी। जिसकी अपील अपर कलेक्टर कोरबा के यहाँ की गई। प्रथम अपीलीय अधिकारी अपर कलेक्टर कोरबा ने जनसूचना अधिकारी के तर्क को खारिज करते हुए अवलोकन में पाया कि चाही गई सूचना व्यक्तिगत ,निजी अथवा गोपनीय नहीं हैं। अपीलीय अधिकारी ने दिनाँक 15 /07/2024 को आदेश पारित कर सूचना एक सप्ताह के भीतर अपीलार्थी को निःशुल्क उपलब्ध कराए जाने का आदेश दिया था,लेकिन आज पर्यंत वांक्षित दस्तावेज प्रदाय न कर अपर कलेक्टर न्यायालय के आदेशों की धज्जियां उड़ा दी गई। जनसूचना अधिकारी ने कृषि भूमि का औद्योगिक ,व्यवसायिक एवं आवासीय प्रयोजन हेतु व्यपवर्तन (डायवर्सन)के लिए वप्राप्त प्रकरणों के स्थल निरीक्षण प्रतिवेदन की जानकारी भी गोलमोल जवाब देकर देने से इंकार कर दिया। जो कि अत्यंत संदेहास्पद है । जिसकी जांच की मांग 30 /07/2024 को कमिश्नर कार्यालय बिलासपुर से की गई है।

एतमानगर रेंजर ने 68 लाख की लागत से बन रहे गोड़मा नाला के दस्तावेज दबाया 

भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुके कटघोरा वनमंडल में आरटीआई की अवहेलना कोई नई बात नहीं है। यहां एतमानगर रेंज में एपीओ वर्ष 2019 -20 में नरवा विकास योजना के तहत 68 लाख 97 हजार की लागत से गोड़मा में नाला तैयार किया गया है। जिसके अंतर्गत ब्रशबुड चेडेम( BWCD ) 88 हजार लागत से 114 नग ,लूज बोल्डर चेकडेम(LBCD) 37 लाख 70 हजार की लागत से 448 नग , गली प्लग (EPG ) 2 करोड़ 13 लाख की लागत से 126 नग ,गेवियन संरचना (GS) 28 लाख 26 हजार की लागत से 11 नग तैयार किया जाना है। जन सूचना अधिकारी ने उपरोक्त कार्यों के संदर्भ में चाही गई माप पुस्तिका,प्राक्कलन की जानकारी प्रदाय नहीं की। प्रथम अपीलीय अधिकारी वनमंडलाधिकारी वन मण्डल कटघोरा के द्वारा दिनांक 30 .05 .2024 को आदेश पारित कर अपीलार्थी को आदेश के बाद भी जन सूचना अधिकारी 15 दिवस के भीतर निशुल्क जानकारी प्रदाय करने आदेश पारित किया था बावजूद इसके आज पर्यंत जानकारी प्रदाय न कर प्रथम अपीलीय अधिकारी डीएफओ कटघोरा के आदशों की धज्जियां उड़ा दी गई। जिसकी
24 .06.2024 को मुख्य सूचना आयुक्त छत्तीसगढ़ राज्य सूचना आयोग के समक्ष द्वितीय अपील प्रस्तुत करने के साथ ही साथ प्रधान मुख्य वन सरंक्षक रायपुर के यहां 25.07.2024 को पत्र लेखकर एतमानगर रेंज समेत जिले में 9 करोड़ 68 लाख 98 हजार की लागत से स्वीकृत सभी 8 नाला गोड़मा नाला,कादल नाला ,कोकमा नाला,पीपरभवना नाला,भैंसपर नाला,सुंधरा नाला,औरानाला ,यांगनाला के संरचनाओं की व्यापक लोकहित में अंतर्विभागीय जांच समिति गठित कर प्राक्कलन ,क्रय प्रक्रिया ,कार्यादेश ,मांग पत्र , देयक व्हाउचर , स्थल निरीक्षण प्रतिवेदन ,तकनीकी मापदण्डों ,गुणवत्ता का परीक्षण कर ,जिम्मदारों का चिन्हांकन कर आवश्यक कार्रवाई की मांग की गई है।

बस्तर में उपसंचालक कृषि सुकमा ने डीएमएफ से स्वीकृत 5 करोड़ 58 लाख के कार्यों के दस्तावेज छुपाए ,एमबी गायब होने की सूचना 

बस्तर में तो कागजों में ही काम निपटा दिए जाने की चलन चली आ रही है। सरकार सिस्टम कितनी भी पारदर्शिता की बात कहते रहे लेकिन यहां भ्रष्टाचार करने का तरीका लोग ढूंढ ही लेते हैं। यहां कार्यालय उप संचालक कृषि ने अपीलीय अधिकारी के आदेशों की धज्जियाँ उड़ाई है। कार्यालय उप संचालक कृषि जिला -सुकमा (छ.ग.)को कार्यालय कलेक्टर जिला -खनिज संस्थान न्यास ,जिला -सुकमा (छग) द्वारा वित्तीय वर्ष 2021-22 एवं 2022 -23 में 5 करोड़ 58 लाख 2 हजार 337 रुपए के विभिन्न कार्यों की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई थी । जिसके तहत 17 लाख 62 हजार 657 रुपए की लागत से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजनांतर्गत स्प्रिंकलर सेट वितरण किया गया है । 4 करोड़ 67 लाख 60 हजार 280 रुपए की लागत से 330 नग नलकूप खनन कार्य कराया गया है।ग्राम किस्टाराम ,धर्मापेंटा ,एलनगुड़ा,कोत्तूर ,
मराईगुड़ा वन एवं सिन्दूरगुडा समेत अन्य ग्राम शामिल हैं ।40 लाख 46 हजार 722 रुपए की लागत से स्थापना ,वर्मी कम्पोस्ट टेस्टिंग ,लैब इंस्ट्रुमेंट कैमिकल्स ,ग्लासवेयर ,सर्विसिंग एंड मेंटनेंस समेत अन्य कार्य कराया गया है । 6 लाख 59 हजार की लागत से साइकिल व्हील हो एवं 12 लाख 26 हजार की लागत से गोठानों में आवश्यक अतिरिक्त केचुआ संबंधी कार्य कराया गया है । कांग्रेस शासनकाल में स्वीकृत उपरोक्त अधिकांश कार्यों में शासन के निर्धारित गाइडलाइंस ,तकनीकी मापदण्डों गुणवत्ता की अनदेखी कर शासकीय राशि का बंदरबाट किए जाने की विश्वसनीय सूत्रों से सूचना मिल रही थी ।जिसे देखते हुए सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 में निहित प्रावधानों के तहत स्वीकृत कार्यों के निविदा प्रकाशन ,प्राक्कलन ,माप पुस्तिका ,देयक व्हाउचर एवं भौतिक सत्यापन पपत्र की व्यापक लोकहित में सत्यप्रतिलिपि उपलब्ध मांगी गई थी। लेकिन भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुके उक्त कार्यों से जुड़े दस्तावेज देने में सम्बंधित विभाग के अधिकारी कर्मचारी इस कदर थर थर कांप रहे हैं कि अपीलीय अधिकारी कार्यालय संयुक्त संचालक कृषि बस्तर संभाग जगदलपुर के दिनांक 16 .05.2024 को पारित आदेश के बावजूद वांक्षित जानकारी आज पर्यंत अपीलार्थी को निःशुल्क प्रदाय नहीं कर आदेशों की अवहेलना की गई। जिसकी शिकायत दिनांक 24 -06-2024 को कमिश्नर कार्यालय बस्तर संभाग जगदलपुर के यहाँ की गई गई। सूत्रों की मानें डीएमएफ से स्वीकृत कार्य के एमबी उपलब्ध नहीं होने की वजह से विभाग के अधिकारियों के जानकारी प्रदाय करने हाथ पांव फूल रहे।इस गंभीर मामले को ईडी ,सीबीआई को देने की बात कही जा रही।

प्रथम अपीलीय अधिकारी के आदेशों का पालन नहीं करने की यह है वजह 

पूरे छत्तीसगढ़ में आपको प्रथम अपीलीय अधिकारी के आदेशों की अवहेलना करने नाफरमानी करने के मामले मिल् जाएंगे। दरअसल इसकी कई वजह मानी जा रही। प्रथम अपीलीय अधिकारी के पास अर्थदंड अथवा अनुशासनात्मक कार्रवाई का अधिकार न होना प्रमुख वजह मानी जा रही। जबकि राज्य सूचना आयोग के पास अधिकतम 25 हजार रूपए तक जन सूचना अधिकारियों के विरुद्ध अर्थदंड लगाने का अधिकार है। विशेष मामलों में अर्थदंड की राशि बढाई भी जा सकती है। यही नहीं राज्य सूचना आयोग अनुशासनात्मक कार्रवाई सुनिश्चित कराने अथवा गम्भीर मामलों में धारा 20 (1) ,20 (2) के तहत एफआईआर दर्ज कराए जाने तक की अनुशंसा का अधिकार है। जबकि यह शक्तियां प्रथम अपीलीय अधिकारी के पास नहीं है। इसके अलावा लगभग सभी विभागों में प्रथम अपीलीय अधिकारी उसी विभागों के रहते हैं जिससे जन सूचना अधिकारियों के मन में कार्रवाई का भय लगभग नहीं के बराबर रहता है।कहीं न कहीं निर्णय भी इनके प्रभावित होते हैं। यही नहीं विश्वस्त सूत्रों के अनुसार अधिकांश जन सूचना अधिकारी इसलिए नहीं डरते हैं क्योंकि उन्हें किसी न किसी तरीके से राजनीतिक संरक्षण मिला रहता है।

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