प्रभारी DEO का एकल आदेश चर्चा में, अधिकार से बाहर जाकर काम कर रहे

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कोरबा (आधार स्तंभ) :  कोरबा जिले को एक पूर्णकालिक जिला शिक्षा अधिकारी राज्य शासन से प्राप्त नहीं हो पा रहा है। इसके कारण प्राचार्य को प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी बनाकर बिठाया गया है किंतु उनके द्वारा इस पद का अपने हिसाब से उपयोग-दुरुपयोग किया जा रहा है।महकमा में जहां यह बात काफी चर्चा में है वहीं उनके द्वारा खुद को पूर्णकालिक DEO समझते हुए अधिकार का दुरुपयोग कर शासन और न्यायालय के निर्देशों की अवहेलना करते हुए कई मामलों में पदस्थापनाओं को लेकर एकल आदेश जारी किया जा रहा है जो काफी चर्चा में है। आश्चर्य की बात तो यह है कि वे स्वयं यह जानते हैं कि ऐसा करके नियम कायदों का उल्लंघन कर रहे हैं किंतु लेन-देन के एवज में नियमों को ताक पर रखकर आदेश करने से कोई गुरेज नहीं कर रहे।

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प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी को वैसे तो नैतिकता के नाते दायरे में रहकर ही आदेश-निर्देश जारी करने चाहिए लेकिन अपने कटघोरा BEO कार्यकाल से सुर्खियों में बने रहने वाले टीपी उपाध्याय को जब प्रभारी DEO बनाया गया तो उसके कुछ दिन बाद से ही उनके कार्यों की चर्चा उनके ही लोगों के बीच शुरू होने लगी।

अभी वे उस आदेश को लेकर काफी चर्चा में हैं जिसमें सहायक ग्रेड 3 से सहायक ग्रेड 2 में पदोन्नति किए गए कर्मचारियों को एकल आदेश जारी कर उनके मनचाहे स्थान पर पदस्थापना दे रहे हैं। इनमें एक ऐसा भी कर्मचारी है जो अपनी और पत्नी के बीमारी के कारण पूर्व पद स्थापना स्थल पर ही बना रहना चाहता है लेकिन उसके आवेदन को दर किनार कर उसकी पदस्थापना दूरस्थ स्कूल में कर दी गई है।

इसके अलावा और भी सहायक ग्रेड 3 को सहायक ग्रेड दो पदोन्नत करते हुए पदस्थापन की आड़ में जमकर कमीशन खोरी के भी आरोप लगे हैं। आरोप तो यह भी है कि इनके द्वारा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को तृतीय श्रेणी कर्मचारी पदोन्नति करने के दौरान भी काफी झोल-झाल किया गया और उनके पदस्थापना में भी खेल हुआ है। मजे की बात यह है कि जब वे चतुर्थ श्रेणी से तृतीय श्रेणी में पदोन्नत कर्मचारियों की सूची जारी करते हैं तो उनका आदेश सामूहिक होता है लेकिन सहायक ग्रेड 3 से सहायक ग्रेड 2 पदोन्नति व पद स्थापना में एकल आदेश निकाल रहे हैं जो किसी भी तरह से उचित नहीं है। विश्वासी सूत्र बताते हैं कि उनके इशारे पर समग्र शिक्षा में भी बड़ा खेल हो रहा है। आत्मानंद स्कूलों से कंप्यूटर लाकर उपयोग किए जाने के भी मामले चर्चा में सुनाई पड़ रहे हैं। वैसे भी आत्मानंद स्कूलों के नाम पर काफी खेल जिले में हुआ है/हो रहा है, जिसकी जांच पड़ताल डीएमएफ घोटाले के साथ होने की सुगबुगाहट है।

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