वर्चस्व की लड़ाई में कहीं कमजोर ना पड़ जाए पाली की राजनीति, क्योंकि काले हीरे की चमक ने राजनीतिक रिश्तो को किया फीका…..

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कोरबा (आधार स्तंभ) : इन दिनों कोरबा जिले के पाली क्षेत्र की राजनीति सरायपाली कोल माइंस तक पहुंच गई है इन दिनों चर्चा में चल रहे रोशन सिंह ठाकुर बतौर भू स्थापित के रूप में 2021 से पाली सराय पाली कोल माइंस में काम कर रहे हैं रोशन सिंह पाली के बीजेपी के मंडल अध्यक्ष रहते वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के 30 साल के राजनीतिक इतिहास में पहली बार पाली क्षेत्र से कांग्रेस और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से 5000 अधिक वोट परसेंट में बढ़त मिली थी, राजनीतिक जानकार बता रहे हैं कि रोशन सिंह ठाकुर की बढ़ती राजनीतिक लोकप्रियता से जहां एक और प्रदेश स्तर के नेताओं का आशीर्वाद मिला है तो वही स्थानीय वरिष्ठ भाजपा नेताओं जिनके दम पर पाली की राजनीति चलती है इनको एक उभरते पार्टी में दमखम बनाने वाले युवा नेता का वर्चस्व हजम नहीं हो रहा है शायद उन्हें पाली की राजनीति में अपनी जमीन खिसकती नजर आ रही है और यह डर अब व्यवसायिक और आर्थिक व्यवस्था पर भी पांव पसार रहा है इसलिए मंडल अध्यक्ष रोशन ठाकुर के व्यवसायिक व्यवस्था पर चोट करते हुए उसे आर्थिक रूप से भी कमजोर करने की साजिश की जा रही है और अब रोशन सिंह ठाकुर की राजनीतिक छवि को धूमिल करने कई तरह के बुनियाद आरोप लगवाए जा रहे हैं जिसमें राजनीति से जुड़े नेताओं के अलावा एसईसीएल के एक दो अधिकारी भी शामिल है जिन्हें मोटी रकम कमीशन में चाहिए और न मिले तो अनर्गल आरोप और शिकायतों को हथियार बनाकर रोशन सिंह ठाकुर को आउट करने का प्रयास किया जा रहा है बताया जा रहा है कि कुछ दिन पहले ऐसे ही एक विवाद में एक ट्रांसपोर्टर रोहित जायसवाल के द्वारा रोशन सिंह ठाकुर के पार्टनर और भाजपा के पूर्व मंडल अध्यक्ष शंभू सिंह के पुत्र लाला ठाकुर के ऊपर जानलेवा हमला किया गया था जिसकी शिकायत पुलिस में की गई थी बताया जाता है कि हमला करने वाले रोहित को पहले से ही के .के.एंटरप्राइजेज कंपनी की गाड़ी से टायर चोरी के मामले में जेल हो चुकी है और आये दिन उसके द्वारा अपनी गाड़ियों के वीआइपी संचालन को लेकर ट्रांसपोर्टरों से वाद विवाद किया जाता है

ऐसे में ऐसे विवादित व्यक्ति को भी मोहरा बनाकर रोशन सिंह ठाकुर को टारगेट किया जा रहा है रोशन सिंह ठाकुर की मेहनत और पार्टी के प्रति समर्पण के चलते कांग्रेसी लोग भी उनके साथ जुड़ते चले गए और लोकसभा चुनाव के पहले 1500 कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को भाजपा में प्रवेश दिलाया गया यही कारण है कि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने अंदरूनी तौर पर इसका विरोध किया और वो नाराज हो गए हैं

अभी वर्तमान में पार्टी के मंडल अध्यक्षों का चुनाव होना है पार्टी के स्थानीय वरिष्ठ नेता अगर बड़ी मछली छोटी मछली को खाने जैसी तर्ज पर राजनीति करेंगे तो फिर ऐसे में सक्रिय कार्यकर्ताओं को भरोसे में लेना मुश्किल हो जाएगा जो की पार्टी के लिए घातक सिद्ध होगा।

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