कोरबा (आधार स्तंभ) : नगर पालिक निगम के चंद अधिकारियों और कार्यपालन अभियंताओं की कार्यशैली इतनी सुस्त है कि वे प्राथमिकता वाले जनहित के कार्यों में भी ढिलाई बरत रहे हैं। ऐसे कार्य जिन्हें जिले के मुखिया ने प्राथमिकता में रखा है, उस कार्य में भी ढिलाई बरती जा रही है जिसका परिणाम है कि 9 महीने के लम्बे समय अंतराल में भी डिवाइडर का टेंडर खुल नहीं सका है। हालांकि इसके लिए प्रक्रियाएं तीन बार की गई और तीसरी बार की गई प्रक्रिया भी तीन महीने में पूरी नहीं की जा सकी है। टेंडर खोला नहीं जा रहा है। आयुक्त को इस पर संज्ञान लेने की आवश्यकता है।
यह मामला है सीएसईबी चौक स्थित फुटबॉल मैदान के सामने से लेकर प्रियदर्शनी इंदिरा स्टेडियम चौक तक डिवाइडर निर्माण का। स्टेडियम मार्ग से भारी वाहनों का आवागमन 24 घंटे होता रहता है और सीएसईबी चौक की ओर आने वाले तथा जाने वाले भारी वाहनों का दबाव इस पूरे रास्ते में रहता है। इसी रास्ते में ऑक्सीजोन अशोक वाटिका भी निर्मित है तथा अन्य प्रतिष्ठान और आवास भी हैं। रास्ते में भारी वाहनों के साथ-साथ छोटे-बड़े अन्य दो पहिया-चार पहिया वाहन भी संचालित होते हैं।
ट्रकों के चालकों द्वारा सड़कों के किनारे वाहन खड़े कर दिए जाते हैं और इसके कारण अक्सर कई बार जाम की स्थिति भी निर्मित होती है व दुर्घटना का खतरा भी बना रहता है। अपनी पदस्थापना के बाद से जिले व आम जनता की समस्याओं का निराकरण करने के लिए काफी संवेदनशीलता से कार्य कर रहे कलेक्टर अजीत वसंत के द्वारा इस मार्ग पर भी यातायात और जाम की समस्या से राहत दिलाने के लिए DMF से डिवाइडर के लिए मंजूरी प्रदान की गई है लेकिन नगर पालिक निगम के द्वारा इस कार्य का टेंडर शासन की गाइडलाइन और निर्देश अनुसार 45 दिवस के भीतर टेंडर की प्रक्रिया पूरी कर वर्क आर्डर जारी करने के मामले में अपेक्षित गंभीरता नहीं दिखाई जा रही है। हालांकि इसी साल मार्च और जुलाई माह में टेंडर निकाले गए लेकिन तकनीकी कारणों से इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सका। अभी सितंबर माह में फिर से तीसरा टेंडर निकाला गया है। कुल 128 लाख के इस कार्य का टेंडर अभी भी खोला नहीं जा सका है जबकि निर्धारित अवधि लगभग बीत चुकी है। ऐसे में समझा जा सकता है कि नगर निगम के कार्यपालन अभियंता से लेकर संबंधित अधिकारी जिन्हें टेंडर की जिम्मेदारी सौंपी गई है, वह किस प्रकार से अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं।
यदि इस मार्ग में डिवाइडर का निर्माण हो जाता है तो निश्चित तौर पर आने और जाने वाले वाहनों के अलग- अलग रास्ते हो जाएंगे और सड़कों पर अथवा किनारे भारी वाहनों का ठहराव नहीं हो पाएगा तथा लोगों को सुचारू आवागमन के लिए यह मार्ग सुलभ होगा।