40 से 50 हजार रुपए लेकर ठेका कम्पनियों में लगवा रहे नौकरी 0 छुटभैय्ये नेताओं के संरक्षण में काम कर रहे दलाल, कम्पनियां परेशान

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कोरबा (आधार स्तंभ) :  कोरबा जिले में संचालित SECL की विभिन्न परियोजना की खदानों में नौकरी के लिए आए दिन होते आंदोलन/धरना प्रदर्शन/काम बंदी के बीच खुलासा हुआ है कि नौकरी के नाम पर बड़ा SCAM हो रहा है। खदानों में कार्यरत निजी ठेका कंपनियों में स्थानीय निवासी /भू विस्थापित होने का फर्जी प्रमाण बनवाकर इसके सहारे दूसरे गैर प्रभावित क्षेत्र व पड़ोसी जिले के लोग नौकरी कर रहे हैं। कई तरह के छुटभैया नेताओं और खुद को भूविस्थापितों का रहनुमा बताने वाले लोगों ने चंद दलालों के माध्यम से यह गोरखधंधा पिछले करीब 4-6 महीने से चला रखा है। इनके कारण वास्तविक भू विस्थापितों का हक मारा जा रहा है।

पुष्ट सूत्रों से जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक खदानों में ऐसे लोग सक्रिय हैं जो किसी न किसी संगठन संस्था अथवा राजनीतिक दल से जुड़ा होना बताकर या फिर भू विस्थापितों के हक की लड़ाई लड़ने का दावा करते हुए उन्हें ठेका कंपनियों में नौकरी लगवाने का बीड़ा उठाए हुए हैं। ऎसे लोग 40 से 50000 रुपए की वसूली नौकरी दिलवाने के एवज में कर रहे हैं। चूंकि ठेका कंपनियों में स्थानीय भूविस्थापितों को रोजगार देना है लेकिन इसके लिए सक्रिय कई तरह के दलालनुमा लोगों के द्वारा बाहरी, दीगर जिला या उक्त खदान परियोजना से अलग क्षेत्र के लोगों को संबंधित परियोजना से प्रभावित होना बताने के लिए उनके आधार कार्ड में पता परिवर्तन कराया जा रहा है। इसके लिए संबंधित सरपंच/पार्षद को सांठगांठ पूर्वक साथ में लेकर या धोखे में रखकर संबंधित व्यक्ति के स्थानीय निवासी होने का प्रमाण पत्र लिखवा कर, सील ठप्पा लगवा कर इसके आधार पर आधार कार्ड में पता बदलवाया जा रहा है। पता बदलवा देने के बाद वह गैर भू विस्थापित व्यक्ति स्थानीय निवासी दर्शित होने लगता है और फिर उसे यहीं का निवासी और भू विस्थापित होना बताकर विभिन्न कंपनियों में कम पर लगा चुके हैं। नौकरी लगवाने के नाम पर 40 से 50000 रुपए की वसूली भी हो रही है। कई तरह के छुटभैये नेता ठेका कंपनियों पर इस तरह का दबाव बनाकर दुकानदारी चला रहे हैं। बताया गया कि आधार कार्ड में पता बदलवाकर जो अनेक लोग इस तरह से नौकरी हासिल किए हैं, उनका संबंधित खदान प्रभावित क्षेत्र में ना तो कभी निवास रहा है और ना ही किसी तरह की जमीन अथवा दूसरी अचल संपत्ति रही है, इसके बावजूद उन्हें ऐसे फर्जी पता के सहारे नौकरी दिलाई गई है। दावा किया गया है कि यदि पिछले 4 माह की अवधि में खदान प्रभावित क्षेत्र में निजी ठेका कंपनियों में नौकरी कर रहे लोगों के मूल आधार कार्ड में पता परिवर्तन के आंकड़े और रिकॉर्ड की जांच कराई जाए तो यह सनसनीखेज खुलासा और भी पुष्ट हो जाएगा।

अनर्गल दबाव से परेशान ठेका कंपनियों के लोग

यह बात भी सामने आई है कि कार्यरत विभिन्न ठेका कंपनियों से आवश्यक कार्य तो कराए जाते ही हैं लेकिन अनर्गल कार्यों के लिए भी दबाव बनाया जाता है जिससे कंपनियों के प्रबंधन खासा परेशान हैं। ऐसे अनेक लोग हैं जो आए दिन निजी कंपनियों में पहुंचकर अपने दो-चार लोगों को नौकरियां लगाने के लिए दबाव डालते रहते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं कि वाजिब वास्तविक भू विस्थापितों को उनका हक पाने के लिए जद्दोजहद करना पड़ रहा है और कई जनप्रतिनिधि तथा विभिन्न संगठन इसमें पूरे मनोयोग से लगे हैं लेकिन इसके अपवाद स्वरूप कुछ ऐसे भी लोग हैं जो सिर्फ अपने स्वार्थसिद्धि के लिए समय देखकर कार्य में बाधा उत्पन्न कर अपने गैर विस्थापित लोगों को ठेका कंपनियों में नौकरी लगवाने का दबाव बनाते रहते हैं।

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