किसी के गुनाह की सजा किसी और को कैसे…? गिरफ्तारी वारंट जारी भी किया SDM ने
सचिव या अन्य को नहीं बनाया भागीदार,कैसी चली मनमानी
प्रशासनिक भयादोहन में जमीन बेचना पड़ा बेटे को,कार्रवाई पूर्णतः अनुचित: विधायक
कोरबा। कानून भी किसी दूसरे के गुनाह की सजा किसी और को नहीं देता लेकिन कोरबा जिले में प्रशासनिक अधिकारियों ने कुछ ऐसा कारनामा कर दिखाया है। एक दिव्यांग युवक को इतना मजबूर किया गया कि उसे अपनी मां के द्वारा किए गए गुनाहों की सजा भुगतनी पड़ी। जिसके बारे में वह जानता नहीं या जिसका वह हकदार नहीं था, वह सजा उसे भुगताई गई है। सरकारी राशि का अधिक भुगतान करने के मामले में दोषी सरपंच मां और फिर पिता की मौत होने के बाद इकलौते पुत्र को जेल जाने का नोटिस जारी कर गिरफ्तारी वारंट का इतना भय दिखाया गया कि पैतृक जमीन को बेचकर भुगतान करना पड़ा। इस कार्रवाई को लेकर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है और अनुचित बताया है।
यह है पूरा मामला
मामला कोरबा जिले के पाली अनुविभाग के अंतर्गत का है। इसका खुलासा तब हुआ जब जिले में अभी सरपंचों से रिकवरी के मामले का विरोध करने के लिए गोंगपा द्वारा पाली में जारी बेमुद्दत धरना में यह युवक भी शामिल होने पहुंचा। पाली के अधीनस्थ आने वाले तहसील हरदीबाजार के ग्राम पंचायत लिटियाखार में कालांतर में सरपंच श्रीमती सुभद्रा उईके निर्वाचित हुई थी। इस पंचायत में 2 सीसी रोड का निर्माण मुख्यमंत्री समग्र विकास योजना के तहत कराया गया था। निर्माण में 3 लाख 75 हजार 216 रुपए का अधिक भुगतान करने का आरोप सरपंच पर लगा। इसके लिए तत्कालीन कलेक्टर के द्वारा 12 फरवरी 2016 को आदेश जारी कर रिकवरी के लिए निर्देशित किया गया। रिकवरी की कार्यवाही के परिप्रेक्ष्य में प्रकरण चला रहा। 26 अक्टूबर 2020 को नोटिस भी जारी किया गया। रिकवरी का नोटिस के दौरान 24 दिसंबर 2020 को सरपंच सहोद्रा का निधन हो गया। इसके पश्चात राजस्व मामले में नोटिस की कार्रवाई अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के न्यायालय से चलती रही। छग शासन बनाम श्रीमती सहोद्रा उईके के प्रकरण में रिकवरी की नोटिस के दरमियान 12 सितंबर 2022 को पति हरनारायण का भी निधन हो गया।
प्रकरण में पुत्र का नाम संयोजित, बाकी सब गायब
दूसरी तरफ सहोद्रा बाई और उसके पति के निधन उपरांत वसूली के लिए इकलौते व पैर से दिव्यांग पुत्र प्रताप कुमार उइके को संयोजित कर उसके नाम नोटिस जारी किया जाने लगा व एसडीएम के न्यायालय में पेशी पर उपस्थिति कराई जाने लगी। वर्ष 2016 से चल रहे इस प्रकरण में प्रशासन ना तो महिला सरपंच से रिकवरी कर पाया और ना ही पंचायत के सचिव और अधिक भुगतान करने के मामले में जिम्मेदार अधिकारियों के प्रति कोई कार्रवाई नहीं कर सका। दूसरी तरफ मृतक सरपंच के वसूली राशि के लिए पंचायत के अन्य प्रतिनिधियों/ पदाधिकारी/ विभागीय अधिकारियों पर कोई जिम्मेदारी तय नहीं की जा सकी।
जारी किया गिरफ्तारी वारंट
दूसरी तरफ सरपंच के पुत्र प्रताप कुमार को वसूली प्रकरण में शामिल (संयोजित) कर तत्कालीन एसडीएम के द्वारा न्यायालय से अगस्त 2022 को गिरफ्तारी वारंट धारा 70 के तहत जारी कर पाली थाना प्रभारी को निर्देश दिया गया कि प्रताप कुमार को गिरफ्तार कर पेश किया जाए और उसमें कोई चूक नहीं होनी चाहिए। इसके पश्चात थक हार कर दिव्यांग प्रताप ने अपनी पैतृक संपत्ति जो उसके पिता के नाम पर थी, किसान-किताब में सुधार करवाते हुए रिकॉर्ड दुरुस्त कराकर जमीन को बेचा और 3 लाख 75 हजार 216 रुपए का भुगतान 23 मई 2023 को करते हुए इसकी रसीद जनपद कार्यालय से प्राप्त की।
कहा था-पैसा पटाओ या जेल जाओ : प्रताप कुमार
सबने कहा अनुचित, जरूरत पड़ी तो हाईकोर्ट जाएंगे
इस संबंध में हमने कुछ प्रशासनिक अधिकारियों से लेकर कानून के जानकारों से जानकारी ली तो सभी ने इसे अनुचित बताया। इन सभी का यह तर्क रहा कि दिवंगत सरपंच के नाम पर यदि कोई संपत्ति होती तो उसे कुर्की करके वसूली किया जाना न्याय संगत होता। अधिक किए गए भुगतान के लिए सरपंच के साथ-साथ उस पंचायत का सचिव और संबंधित अधिकारी भी जवाबदेह होने चाहिए लेकिन इसमें परिवार के सदस्य से दबाव डालकर, गिरफ्तारी करने का भय दिखाकर रिकवरी करना न्याय संगत नहीं है। इसमें संबंधितों के विरुद्ध कार्यवाही होनी चाहिए। गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के पाली-तानाखार विधायक तुलेश्वर हीरासिंह मरकाम ने इसे प्रशासनिक भयादोहन करार देते हुए कहा कि भोले -भाले आदिवासी सरपंच और उनके परिजनों की अज्ञानता का फायदा उठाकर उनको जिस प्रकार से परेशान किया जा रहा है, वह उचित नहीं है। इस मामले में जरूरत पड़ी तो कानूनी लड़ाई भी लड़ी जाएगी।